खातेदारों के आधे अधूरे नक्शों में पड़ोसियों को खा गया हल्काधीश पटवारी



राजू चारण

बाड़मेर 21 सितंबर , बाड़मेर जिले के किसानों को अपनी खातेदारी पुश्तैनी जमीन के खसरा-खतौनी की नकल निकलवाने, भूमि का नक्शा लेने सहित विभिन्न प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया के लिए लोग तहसीलदार और पटवारियों के पास में पहुंचते हैं। इसमें लोगों को आजकल काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही खातेदारों के समय की भी बर्बादी होती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए राज्य सरकार तहसील में अधिकतर व्यवस्थाएं ऑनलाइन करने की तैयारी कर रही हैं। इसके लिए भूमि संबंधी डाटा कंप्यूटर में फीड किया जा रहा है। बाड़मेर जिले में लगभग सभी तहसीलों में यह कार्य समाप्ति की ओर है।


इसी फीडिंग में पटवारियों द्वारा कहीं कहीं पर जानबूझकर ‘त्रुटियो का खेल’ कर रहे हैं। जिला मुख्यालय पर ओर उपखंड अधिकारियों के कार्यालयों में लगभग रोजाना ऐसे दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं। अपनी जमीन के अभिलेखों में ऐसी त्रुटि को दुरुस्त कराने के लिए लोग तहसीलो के चक्कर लगा रहे हैं। समाधान न होने पर लोगों को पहले तहसीलदारों और फिर एसडीएम कोर्ट में मजबूरीवश जाना पड़ रहा है। वहां से समाधान न होने पर पीड़ित जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय तक अपनी शिकायतों को लेकर पहुंचते हैं।


पीड़ितों का यहां तक कहना है कि हल्का पटवारियों की कुछ उपखंड  मुख्यालय के दलालों से मिलीभगत रहती है। इसलिए वे जानबूझ कर ऐसी गल्तियां करते हैं, ताकि लोगों को उनकी साठगांठ वाले दलालों की मदद लेनी पड़े। छोटी-छोटी त्रुटियों को ठीक होने में दो से पांच महीने तक लग जाते हैं। कभी कभार तो आठ दस साल तक लग जाते हैं।इनमें लोगों का धन और समय तो बर्बाद होता ही है, बिना किसी अपराध के कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने में फजीहत झेलनी पड़ती है। जिसके चलते उनके काम रुक जाते हैं। पिछले साल गुड़ामालानी उपखंड अधिकारी को ड्राइवर सहित खातेदारी फरियादी ओर अधिवक्ता ने परेशान होकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से गिरफ्तार करवाया था।


इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अंम्बा लाल जोशी ने बताया कि आजकल गांवों में पटवारी या फिर पटवारी का नुमाइंदा जो नक्शा-खसरा जारी करते है उसमें आस-पड़ोस के खातेदारों के खसरों को जानबूझकर अंकित नहीं किया जाता है।इस वजह से आधे अधूरे नक्शे को जारी करने के कारण खातेदारों का सरकारी काम-काज रुक जाता है। पहले पटवारियों द्वारा जो नक्शा-खसरा जारी किया जाता था उसमें आस-पड़ोस के खातेदारों के खसरों सहित अंकन किया जाता था लेकिन आजकल किसानों के खेतों का जान-बझकर नहीं लिखना हमारे समझ से परे है।


कलेक्ट्रेट परिसर में मेले कुचेले थेले से बड़  फाइल्स निकल कर मिलें फरियादी ने बताया कि नक्शे में सबसे पहले आसपास के खातेदारों के खसरों की गड़बड़ी को सम्बंधित पटवारियों से सही करवाने की ओर पटवारियों से उसकी पैमाइश में भी गड़बड़ी कर गलत जगह अंकित कर दी जाती है। इसको लेकर बाड़मेर जिले के कई खातेदारों ने पिछले कई महीनों से तहसीलदारों सहित उपखंड अधिकारी के यहां वहां धक्के लगाने के बाद जिला मुख्यालय पर एडीएम ओर जिला कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन वही ढांक के तीन पात


कलेक्ट्रेट परिसर में अधिवक्ता कुमार कौशल जोशी ने बताया कि खातेदारों के खसरों नक्शों को दुरुस्त करने के लिए एलआर एक्ट : खतौनी में चढ़ने वाली गलत संख्याओं को एलआर एक्ट 33/39 की धारा में दुरुस्त किया जाता है। तो वहीं नक्शा दुरुस्त करने के लिए एलआर एक्ट की 28 धारा है। 


ऐसे मामलों में बाड़मेर जिले में पटवारियों की कई ऐसी शिकायत आ चुकी हैं, जो कि कंप्यूटर में दर्ज करते समय की गई हैं। ऐसे में लोग तहसीलदार और उपखंड अधिकारियों के कोर्ट में पहुंचते हैं। इस संबंध में पटवारियों को सही तरीके से काम करने की कई बार चेतावनी दी गई है। लेकिन पटवारी तो गांवों में हल्काधीश होता है जिलों में तैनात जिलाधीशों की तरह.....

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