ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के अंतर्गत कंप्लायंस रिडक्शन एवं डिरेगुलेशन में राजस्थान की उपलब्धियाँ

 


माननीय प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शी नेतृत्व में कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों के लिए कंप्लायंस रिडक्शन एण्ड डिरेगुलेशन (Compliance Burden Reduction and Deregulation) एक्सरसाइज प्रारंभ की गई। इस राष्ट्रीय सुधार एजेंडा के अंतर्गत माननीय मुख्यमंत्री, राजस्थान ने राज्य की सहभागिता का सक्रिय नेतृत्व किया तथा प्रभावी एवं समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने हेतु मुख्य सचिव, राजस्थान की अध्यक्षता में अनेक बैठकों का आयोजन किया।

इसके परिणामस्वरूप, भारत सरकार द्वारा चिन्हित सभी 23 प्राथमिक क्षेत्रों में पूर्ण अनुपालन प्राप्त करने वाले अग्रणी राज्यों में राजस्थान सम्मिलित हुआ है। इन सुधारों को व्यवस्थित रूप से लागू किया गया है, जिससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को सुदृढ़ करने वाला एक मजबूत एवं सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हुआ है। साथ ही, नियामक ढांचे के सरलीकरण एवं आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन मिला है तथा राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट के दौरान हस्ताक्षरित मेमोरेंडम आॅफ अंडरस्टेन्डिग (डवन्े) के धरातलीकरण एवं प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक सशक्त आधार तैयार हुआ है।

राजस्थान ने ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस इकोसिस्टम को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए कई परिवर्तनकारी सुधार लागू किए हैं। एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए, राज्य ने नियम 90। में संशोधन कर शहरी क्षेत्रों में भूमि रूपांतरण प्रक्रिया को सरल बनाया है, जिसके तहत समयसीमा 60 से घटाकर 30 कार्य दिवस कर दी गई है, जिसके बाद स्वतः स्वीकृति का प्रावधान किया गया है। इससे परियोजनाओं में होने वाली देरी में कमी आएगी और नए उद्यमों की स्थापना तेजी से होगी।

राजस्थान ने प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। एमएसएमई के लिए कंसेट टू एस्टैब्लिष (सीटीई) और कंसेट टू आॅपरेट (सीटीओ) हेतु समयसीमा 120 दिनों से घटाकर 21 दिन और रेड/वृहद् श्रेणी के उद्यमों के लिए 60 दिन कर दी गई है। इसके अतिरिक्त, प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सेल्फ सर्टिफिकेषन के आधार पर पर्यावरण अधिनियमों के अंतर्गत अनुपालना कर रही इकाइयों के लिए सीटीओ का सिस्टम-जनरेटेड ऑटो रिन्यूवल प्रारंभ किया है। साथ ही, वाटर एण्ड एयर पाॅल्यूषन रूल्स में संशोधन के माध्यम से अप्रदूषणकारी व्हाइट कैटेगरी उद्योगों की सूची को 104 सेक्टर्स से बढ़ाकर 877 सेक्टर्स कर दिया गया है, जिससे अधिक गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों को नियामकीय आवश्यकता से छूट मिलेगी। इससे परियोजना अनुमोदनों में तेजी और औद्योगिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

सूक्ष्म उद्यमों पर नियामक भार कम करने के उद्देश्य राजस्थान शाॅप्स एण्ड काॅमर्शियल एस्टाब्लिसमेंट एक्ट, 1958 के अंतर्गत कर्मचारी संख्या की सीमा 0 से बढ़ाकर 10 कर दी गई है। इसके अतिरिक्त, ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस को और सुदृढ़ करने तथा प्रतिष्ठानों को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य ने एक अध्यादेश जारी कर अधिनियम के अंतर्गत अनुमत कार्य घंटों में वृद्धि की है। अध्यादेश के अनुसार दैनिक कार्य समय 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया गया है, अधिकतम 6 घंटे के कार्य के पश्चात न्यूनतम 30 मिनट के विश्राम का प्रावधान किया गया है तथा तिमाही ओवरटाइम सीमा 144 घंटे कर दी गई है।

इसके अलावा, राजस्थान सरकार ने राजस्थान फैक्ट्री रूल्स, 1951 के नियम 100 में संशोधन किया है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं एवं माताओं को छोड़कर, महिला श्रमिकों को सभी जोखिम कार्यों में कार्य करने की अनुमति दी गई है, जिनमें वे 15 कार्य भी शामिल हैं जो पूर्व में महिलाओं के लिए निषिद्ध थे।

फायर सेफ्टी कंप्लायंस को भी सुव्यवस्थित किया गया है जिसके अंतर्गत एम्पैनल्ड एजेंसियों के माध्यम से थर्ड पार्टी फायर इंस्पेक्शन का प्रावधान लागू किया गया है तथा फायर एनओसी सर्टिफिकेट (थ्पतम छव्ब्) की वैधता अवधि बढ़ाई गई है, जिससे प्रक्रियात्मक विलंब कम हुआ है और साथ ही सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित किया गया है।

ग्रामीण उद्योगों के लिए न्यूनतम सड़क चैड़ाई आवश्यकताओं के युक्तिकरण में राजस्थान अग्रणी राज्यों में शामिल है। लेआउट प्लान वाले क्षेत्रों में सड़क चैड़ाई 9 मीटर और बिना लेआउट वाले क्षेत्रों में 4.5 मीटर निर्धारित की गई है। राज्य ने औद्योगिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों में भूमि उपयोग को अनुकूलित करने हेतु भी महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं। नगरीय विकास एवं आवासन विभाग एवं रीको ने भवन मानकों में संशोधन कर भूमि के सदुपयोग को सुनिष्चित किया है और पार्किंग मानकों का भी युक्तिकरण किया गया है। पूर्व में वाणिज्यिक भूखण्डों पर 50 प्रतिषत ग्राउंड कवरेज की सीमा को अब समाप्त कर दिया गया है, जिससे नगरीय योजना में अधिक लचीलापन सुनिश्चित हुआ है।

नगरीय विकास के क्षेत्र में, राजस्थान सरकार द्वारा ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट पाॅलिसी (ज्व्क्) जारी की गई है, जिसका उद्देश्य सघन, पैदल-अनुकूल एवं परिवहन-केंद्रित शहरी विकास को प्रोत्साहित करना है। यह नीति मेट्रो कॉरिडोर, बीआरटीएस तथा प्रमुख परिवहन मार्गों के आसपास उच्च घनत्व मिश्रित उपयोग विकास को बढ़ावा देती है, जिससे यातायात भीड़ में कमी, क्षैतिज शहरी विस्तार पर नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन के उपयोग में वृद्धि तथा स्वच्छ एवं अधिक दक्ष शहरों का निर्माण संभव हो सकेगा।

डी-क्रिमिनलाइज़ेशन के क्षेत्र में राज्य ने राजस्थान जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश, 2025 अधिसूचित किया है, जिसके माध्यम से 11 राज्य अधिनियमों के प्रावधानों में संशोधन कर छोटे अपराधों को अपराधमुक्त किया गया है। इस अध्यादेश के तहत आपराधिक प्रावधानों को मौद्रिक दंड से प्रतिस्थापित किया गया है, दंडों का युक्तिकरण किया गया है तथा आपराधिक कार्यवाहियों में कमी लाई गई है, जिससे नागरिकों एवं व्यापारियों के लिए व्यापार करना आसान हुआ है।

निवेशक सुविधा को और सुदृढ़ करने के लिए राज्य की सिंगल विंडो प्रणाली राजनिवेश को एआई चैटबॉट के साथ सशक्त किया गया है, जो विभिन्न विभागों की सूचनाओं को एकीकृत कर निवेशकों को सहज एवं प्रभावी सहायता प्रदान करता है।

इन व्यापक एवं दूरदर्शी सुधारों के माध्यम से राजस्थान ने कंप्लांयस रिडक्शन, डिरेगुलेशन एवं इन्वेस्टर फैसिलिटेशन के क्षेत्र में भारत के अग्रणी राज्यों में अपनी स्थिति को पुनः सुदृढ़ किया है तथा त्वरित, पारदर्शी एवं दक्ष शासन के प्रति अपनी निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है।

यह उपलब्धि राज्य के सभी विभागों के समन्वित प्रयासों एवं सतत सहयोग से संभव हो सकी है।

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